मेरी अँखियों से काहे दूर हो कहो ,

मेरी अँखियों से काहे दूर हो कहो ,



धुन- तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम

मेरी अँखियों से काहे दूर हो कहो , ओ साँवरे मेरी अँखियों का क्या कसूर है कहो , ओ साँवरे |

तकती रहती हैं , तुम्हारी राहें सुबह शाम, पथरा ना जाये कहीं ये कब आवोगे श्याम, इनसे मिलने से क्या मजबूर हो कहो , ओ साँवरे || १ ||

ऐसा लगता है , दीवानी ये हो जायेगी , प्यासी आँखें होश में तो ना रह पायेगी , ऐसा क्या तुमको है मंज़ूर तो कहो , ओ साँवरे || २ ||

बहती रहती है , तुम्हारी याद में रोती है, जाने कितनी रातें जागी ये नहीं सोती है, सपने क्यों सारे , हुए चूर हैं कहो , ओ साँवरे || ३ ||

मेरी आँखों ने मिलन का सपना देखा है, कहे " रवि " फिर भी तुमने ना इनको देखा है, मिलना तो इनसे अब ज़रूर है कहो , ओ साँवरे || ४ ||






''जय श्री राधे कृष्णा ''


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