मेरे मन में आन बसो, जीवन में आन बसो,
published on 26 September
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तर्ज़- ऐ मेरे दिलें नादाँ
मेरे मन में आन बसो, जीवन में आन बसो, हे माँ वीणा पाणी, मेरे ह्रदय में आन बसो | तुम स्वर की देवी हो,तुम कला की देवी हो सरगम लय सब तुमसे,तुम सुरों की देवी हो गुणगान करूँ तेरा,मेरे कण्ठ में आन बसो || १ ||
मेरे नृत्य को थिरकन दो,मेरे वाद्य को धड़कन दो मेरे हाथों को अर्चन दो, मेरी जिव्हा को वंदन दो दो कला को अभिव्यक्ति, मेरे शिल्प में आन बसो || २ ||
इक कर में पुस्तक है,इक कर वीणा सोहे तेरी पावन प्यारी छवि,सबका ही मन मोहे जो पढ़तें हैं उनके,मस्तिष्क में आन बसो || ३ ||
मैं नित नई रचना रचूँ,ऐसा उन्माद भरो "रवि" शीश झुका कहता,मुझे आशीर्वाद करो मैं जब लिखने बैठूं,मेरी कलम में आन बसो || ४ ||
रविन्द्र केजरीवाल' रवि'
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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