श्री श्याम सलोने का दरबार बसंती है , श्रृंगार बसंती है |
published on 26 September
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श्री श्याम सलोने का दरबार बसंती है , श्रृंगार बसंती है |
बसंती ही पीताम्बर, बसंती ही फेटा है , बसंती सिंहासन, जिस पर ये बैठा है , इसने जो पहने है, वो हार बसंती है ||१||
मुखड़े पर गौर करो, मुस्कान बसंती है , मुरली से उठ रही, वो तान बसंती है , जिस नजरो से ये देखे, वो प्यार बसंती है ||२||
इसकी हर प्रेमी की, पहचान बसंती है , दिल मे जो मचल रहे, अरमान बसंती है , जिस डोर से ये बंधे, वो तार बसंती है ||३||
ये श्याम सरोवर है, बाबा की धरोहर है , 'बिन्नू' इसके तट का हर घाट मनोहर है , इसके निर्मल जल की, हर धार बसंती है ||४||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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