
राधा नाचे कृष्ण नाचे, नाचे गोपी जन मन मेरा बन गया सखी री सुँदर वृँदावन
श्याम सांवरे , राधा गोरी ,जैसे बादल बिजली
जोड़ी जुगल लिए गोपी दल ,कुञ्ज गलिन से निकली ,
खड़े कदम्ब की छांह ,बांह में बांह भरे मोहन
राधा नाचे कृष्ण नाचे , नाचे गोपी जन ||1||
वही द्वारिकाधीश सखी री ,वही नन्द के नंदन
एक हाथ में मुरली सोहे,दूजे चक्र सुदर्शन
कान्हा की नन्ही ऊँगली पर नाचे गोवर्धन
राधा नाचे कृष्ण नाचे , नाचे गोपी जन||2||
जमुना जल में लहरें नाचें ,लहरों पर शशि छाया
मुरली पर अंगुलियाँ नाचें ,उँगलियों पर माया
नाचें गैय्याँ , छम छम छैँय्याँ ,नाच रहा मधु - बन
राधा नाचे कृष्ण नाचे , नाचे गोपी जन ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा''
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