
हर स्थिति मेँ , हर जगह , हमेशा रहते हैँ प्रभु मेरे साथ ।
रहता मस्तक पर मेरे नित उन मेरे प्रिय प्रभु का हाथ ।।
सुखमय बीते हुए समय की कभी न आती मुझको याद ।
वर्तमान के विषम समय मेँ पाकर प्रभु का आर्शीवाद ॥ 1 ॥
स्थितियाँ सदा बदलतीँ , आते नये - नये जीवन मेँ मोड़ ।
किँतु मोद - पूरित रहता मन ; क्योँकि न जाते प्रभु पल छोड़ ॥ 2 ॥
मेरे परम सुह्रद पावन प्रभु करते पलक न मेरा त्याग ।
हर स्थिति मेँ बरसाते रहते मुझपर सदा सुधा - अनुराग ॥ 3 ॥
इससे मैँ पा रहा सुनिश्चित घोर पाप - तापोँ से त्राण ।
कोई भी स्थिति रहे , हो रहा मेरा नित्य परम कल्याण ॥ 4 ॥
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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