
बिगड़ी मेरी बना दे, गिरिराज के धरैया
अपना मुझे बना ले ,ओ बंसी के बजैया
दर्शन को मेरी कबसे अँखियाँ तरस रही है
सावन के जैसे झर झर कबसे बरस रही है
परिक्रमा तू करा दे ,ओ गिरिराज के धरैया||1||
आते है तेरे दर पे दुनिया के नर ओ नारी
सुनते हो सबकी विनती मेरे ओ गिरवरधारी
मुझको दरस करा दे रे मोहन, ओ गैया के चरैया ||2||
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भक्तों पे मेरे मोहन दृष्टि दया की रखना
चरणों की धूल दे के मेरी भी झोली भरना
नजरे कर्म तू कर दे मोहन,ओ बंसी के बजैया ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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