देखो माई हरियारो सावन आयो।हर्यो टिपारो सीस बिराजत,काछ हरी मन

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देखो माई हरियारो सावन आयो।

हर्यो टिपारो सीस बिराजत,
काछ हरी मन भायो।।




हरी मुरली है हरि संग राधे,
हरी भूमि सुखदाई।


हरी-हरी बन राजत द्रुम बेली,
नृत्यत कुँवर कन्हाई।।




हरी-हरी सारी सखिजन पहिरें,
चोली हरी रंगभीनी।


'रसिक' प्रीतम मन हरित भयो है,
सर्वस्व न्यौछावर कीनी।।"


जै श्री राधे कृष्ण
🌺



श्री कृष्णायसमर्पणं

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