श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2नैनन बिच मूरत बसाय

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श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2
नैनन बिच मूरत बसाय लूँगी।।






मेरो श्याम तो सुघड़ सलोनो है, 
छवि मोहक और मन मोहनो है।
जाकूँ मनसों अपनो बनाय लूंगी -2 ||1||





है श्याम बड़ौ ही उत्पाती, 
जाके संग रहे संगी साथी
जाकूँ करके इशारों बुलाय लुंगी-2 ||2||





आय गयौ महीना सावन को,
झूलन को और झूलावन कौ।।
जाकूँं अपने संग झूलाय लूंगी-2 ||3||





जब आवे याद तो रोय लूंगी, 
पर मुख सौ नेक ना बोलूंगी।
हवै मगन मैं अंसुआ बहाय लूंगी||4||



जै श्री राधे कृष्ण
🌺



श्री कृष्णायसमर्पणं

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