
तेरी मेहरबानी का, है बोझ इतना
अभी मैं उठाने के, काबिल नही हूँ,
आ तो गया हूँ, मगर जानता हूँ,
तेरे दर पे आने के, काबिल नही हूँ...
ज़माने की चाहत में, तुझको भुलाया,
तेरा नाम हरगिज जुबां पर ना आया...
गुनाहगार हूँ मैं, खतावार हूँ मैं,
तुम्हे मुहँ दिखाने के काबिल नहीं हूँ ||1||
..
तुम्ही ने अदा की, मुझे जिंदगानी,
मगर तेरी महिमा, नही पहचानी.
करजदार हूँ मैं, तेरी दया का इतना,
कि करजा चुकाने के, काबिल नही हूँ ||2||
भटकता हूँ लेकर, गुनाहों भरा दिल,
ठिकाना ना कोई, नही कोई मंजिल...
अपने हाथो से आके उबारो, ओ "किशन" .
मैं अब अजमाने के, काबिल नहीं हूँ.||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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