पिया तोड़ दो बंधन आज कि अब रूह मिलना चाहती है
published on 12 September
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पिया तोड़ दो बंधन आज कि अब रूह मिलना चाहती है
पिया दिल की ये ही आवाज कि अब रूह मिलना चाहती है|
आस उम्मीद तुज पे है रक्खी मुझमे नहीं है कुछ भी मेरा
कबसे है रक्खा दिल चरणों मे तेरे प्यार का जाम कहाँ है तेरा
अब देर न कर भर्तार ||1||
आशिक पिया वोही हैं जलते जो होंठों पे रखते हैं ताने
आई लहर जो मस्ती भरी दिल संभले न लाख संभाले
मेरे वश मे नहीं जज्बात ||2||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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