शिव आदि पुरुष अविनाशी रे

शिव आदि पुरुष अविनाशी रे



शिव आदि पुरुष अविनाशी रे,
भोला आदि पुरुष अविनाशी रे ।

जटा मुकुट बिच गंग बिराजे,
शीतल जल सुखराशी रे ।।1।।

रुंडमाल मृगछाल विराजे,
 अंग विभूति विलाशी रे ।।2।।

गजानन्द से पुत्र कहीजे,
और गौरजा दासी रे ।।3।।

वरदायक संतन के सहायक,
 शिव कैलाशी वासी रे ।।4।।

द्वादश ज्योति लिंग जमी पर,
जिगमिग ज्योति प्रकाशी रे ।।5।।

6.हंसराज हरहर गुणगावे,
कटे फंद चौरासी रे ।। शिव ।।

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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