बोलो श्याम ! बोलो श्याम ।। कैसै जाओगे तुम प्राणी , भव सागर से पार ।

बोलो श्याम ! बोलो श्याम ।। कैसै जाओगे तुम प्राणी , भव सागर से पार ।




बोलो श्याम ! बोलो श्याम ।।
कैसै जाओगे तुम प्राणी , भव सागर से पार ।
इसी प्रश्न का हल करने को हुआ कृष्ण अवतार ।।

कृष्ण घाट से बिना मोल के हरि नाव है बहती ।
जब चाहे इस नाव मे बैठो सदा पार है करती ।
सभी जीव इस घाट से जाकर उतरे बारंमबार ।।1||

संकीतॆन पतवार बना है श्याम नाम की धारा ।
भक्ति पवन के साथ मे बहकर मिलेगा तुमहे किनारा ।
तन से मन से तुम जाने को हो जाओ तैयार ।।2||

लकडी की ये नाव नही है ,श्रद्धा से है बनती ।
कितनी भी कब तेज हवा हो नही भंवर मे फसती ।
भक्त सब दृढ़ निश्चय कर हो जाओ भव से पार ।।3||


''जय श्री राधे कृष्णा ''
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