मोहनी मूरत साँवली सूरत,कृष्णा मन को भाए,

मोहनी मूरत साँवली सूरत,कृष्णा मन को भाए,



मोहनी मूरत साँवली सूरत,कृष्णा मन को भाए,
हाए ! कैसी प्रीत लगाये,कृष्णा मन को भाए |


माखन चोर तू कृष्ण कनहिया,
क्यूँ व्याकुल कर जाये ||1||

मुरली मनोहर गोपियों के संग,
कैसी रास रचाए ||2||

तुम बिन प्रभु जिया नाही लागे,
संसार ये नीरस लागे ||3||

मेरे घर आँगन तू आजा,
बलिहारी में जाऊं ||4||

क्रोध दोष सब छोड़ दूं मै,
चरनन से जो तू लगाये ||5||

तुम बिन उजियारे को तरसूँ,
अँधियारा जीवन हो जाये ||6||

साँझ सवेरे दर्शन तेरे,
मुझको जो हो जाये ||7||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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