जो तुमको भूल जाए वो दिल कहाँ से लाऊँ

जो तुमको भूल जाए वो दिल कहाँ से लाऊँ

जो तुमको भूल जाए वो दिल कहाँ से लाऊँ
दिल है तो दिल में क्या है कैसे तुम्हे बताऊँ |


मेरे दिल का राज़ गम है तू है बेपरवाह गम से
तुझे अपने दरद -इ -दिल की क्या दास्ताँ सुनाऊँ ||1||

मेरे दिल की बेबसी में अरमान थक गए हैं
तेरी राह पे नज़र है अब और चल न पाऊं ||2||

मुझे याद तुम हो लेकिन मुझे याद भी है अपनी
कभी यूं भी याद आओ के मैं खुद को भूल जाऊं ||3||

हमारे जख्मों का इलाज़ कुछ इस तरह किया आपने
कि मलहम भी लगाई तो काँटों की नोक से
पर हमने दर्द को दवा ,काटों को गुलज़ार कहा
क्यों ??
कातिल के हाथों मजबूर हैं
कातिल को भी दिलदार कहा

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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