
चार वरण में वही बड़ा, जिन राधे कृष्णा रटा रटा रे ।
ये तन हीरा लाल अमोलक, निश दिन जावे घटा-घटा रे
कोल वचन कर बाहर आया, फेर रहे क्यूँ नटा-नटा रे ||1||
काहे को जोड़े माल खजाना, काहे चिणावे उची अटा रे
यम को तलब जब आयेगी तेरी, छोड़ जाय सब अटापटा रे ||2||
भाई बंधु कुटुम्ब कबीला, देखत नैना पटा पटा रे
जब ये हंसा निकल जायेगा, सबको लागे डरा डरा रे ||3||
दुनिया है मतलब की गरजी, स्वारथ बोले मीठा-मीठा रे
चंद्र सखी भज बालकृष्ण छवि, प्रभु चरणन पर चित अटका रे ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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