
भज मन नारायण नारायण हरी हरी
बद्रिनारायण नारायण नारायण हरी हरी |
जिस ने दिया यह जीवन, उस प्रभु का करले सुमिरन,
तेरी अधूरी आशा इसी द्वारे पे होगी पूरण ।
श्रीहरी के चरणों में अर्पण कर दे मन और प्राण ||1||
बन कर राम पधारे, कभी बन गए कृष्ण मुरारी,
जन हित नारायण ने सदा अलग अलग छबी धारी
जब जब भीड़ पड़ी भगतों पर, प्रगटे दया निधान ||2||
तुलसी सूर कबीर और दर्श दीवानी मीरा,
भक्ति भजन में खो के वो तो पा गए मुक्ति का हीरा ।
नाम प्रभु का सार जगत में, कह गए संत महान ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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