नाच्यो बहुत गोपाल

नाच्यो बहुत गोपाल



नाच्यो बहुत गोपाल अब मैं
नाच्यो बहुत गोपाल  |

काम क्रोध को पहिर चोलना
कंठ विषय की माल ||1||

तृष्णा नाद करत घट भीतर
नाना विधि दे ताल ||2||

भरम भयो मन भयो पखावज
चलत कुसंगत चाल ||3||

सूरदास की सबे अविद्या
दूर करो नन्दलाल ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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