
धुन- जाएँ तो जाएँ कहाँ
आओ तो आओ हरी , किस विध थे देर करी
सभा है भरी , भीड़ पड़ी ||
पति मोहे हारी , ये ना बिचारी
कैसे सभा में , आयेगी नारी
बाजी लगी है , कपट भरी || १ ||
दुष्ट दुशासन वंश विनाशन
खैंच रह्यो मेरे , तनहुँ को वासन
नगन करूँगा , मन में करी || २ ||
भीष्म पितामह , गुरु द्रोण देवा
बैठे विदुरजी , धर्म के खेवा
सबकी मति में , धूल पड़ी || ३ ||
हाथ पसारूँ , बेगा पधारो
" सत्य " कहेऊँ अब , कोई न सहारो
देवकी नन्दन , बनाओ बिगड़ी || ४ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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