
धुन- दिल के अरमां आँसुओं
क्या बताएँ किस तरह जीते हैं हम
भोले दानी कब संवारेंगे जनम ||
ज़िन्दगी एक बोझ बनती जा रही
अब ना जी पायेंगे हम तेरी कसम || १ ||
नाव आशा की ये पल पल डूबती
डूबते पे कीजिये थोडा रहम || २ ||
ऐसा लगता है दुःखों की मार से
टूट न जाये कहीं का भरम || ३ ||
दास " राजू " की यही अरदास है
दुःख के दिन जैसे भी हो कर दो ख़तम || ४ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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