
आज प्रिया जू ने साँझी बनाई।
निज कर कमल रची यह रचना,
को बरने इनकी सुघराई।|1||
कहूँ गिरिराज कहूँ बरसानो,
कहूँ वृन्दावन छबि अधिकाई||2||
कहूँ यमुना तट घाट मनोहर,
विबिध कुंजवर गाखे सुहाई||3||
कहूँ द्रुमलता कहूँ फुलबारी,
बरन बरन खग मृग समुदाई||4||
नारायण लखि प्रीतम प्यारो
पुनि पुनि हरषत कर्ट बड़ाई||5||
【दोहा】
विबिध कथा गोपाल की,
नारायण सुखरास।
गति पावें सुन भक्तजन ,
दुष्ट करे उपहास।
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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