
कार्तिक मास को श्री दामोदर मास भी कहते हैँ। इस मास के अधिष्ठाता भगवान श्रीदामोदर हैँ।
▪श्री वृन्दावन मे प्राय: वैष्णव श्री राधा दामोदराष्टक का पाठ करते हैँ। श्री धाम वृन्दावन न आ सकेँ तो जहाँ आप हैँ, वहीँ रहकर कुछ विशेष नियम ग्रहण करेँ और अपने ठाकुर के सामने श्री दामोदराष्टक का श्रद्धापूर्वक पाठ करेँ। इससे श्रीदामोदर के श्रीचरणोँ मेँ प्रीति-वृद्धि होगी।
▫इस वर्ष का कार्तिक मास/दामोदर मास (24.10 ) से आरम्भ हो रहा है।
🌹नमामीश्वरं सच्चिदानन्दरुपं,
लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम्।
यशोदाभियोलूखलाद्वावमानं,
परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ॥1॥
🍂रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्यँ मृजन्तं,
कराम्भोज-युग्मेन साँतकनेत्रम्।
मुहु: श्वासकम्प-त्रिरेखाँककण्ठ
-स्थितग्रैव दामोदरं भक्तिबद्धम्॥2॥
🌹इतीदृक स्वलीलाभिरानन्दकुण्डे,
स्वघोषं निमज्जन्तमाख्यापयन्तम्
तदीयेशितज्ञेषु भक्तैर्जितत्वं,
पुन: प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥3॥
🍂वरं देव मोक्षं न मोक्षीवधिँ
वा न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह।
इदन्ते वपुर्नाथ गोपालबालं सदा मे
मनस्या विरास्ताँ किमन्यै ॥4॥
🌹इदं ते मुखाम्भोजमत्यन्तनीलै:
वृतं कुन्तलै: स्निग्ध-वक्रैश्च गोप्या।
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे,
मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभै:॥5॥
🍂नमो देव दामोदरानन्त विष्णो!
प्रसीद प्रभो! दु:खजालाब्धि-मग्नम।
कृपादृष्टि-वृष्टचातिदीनं वतानु,
गृहणेश!मामज्ञमेध्यक्षिदृश्य:॥6॥
🌹कुबेरात्मजौ बद्धमूर्तैव यद्धत,
त्वया मोचितौ भक्तिभाजौ कृतौ च।
तथा प्रेमभक्तिँ स्वकाँ मे प्रयच्छ,
न मोक्षे ग्रहो मेऽस्ति दामोदरेह ॥7॥
🍂नमस्तेऽस्तु दामने स्फुरद्दीप्तिधाम्ने,
त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने।
नमो राधिकायै त्वदीय प्रियायै,
नमोऽनन्तलीलाय देवाय तुभ्यम॥8॥
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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