मैं हूँ श्री भगवान का , मेरे श्री भगवान ।अनुभव

मैं हूँ श्री भगवान का , मेरे श्री भगवान ।अनुभव



मैं हूँ श्री भगवान का , मेरे श्री भगवान ।

अनुभव यह करता रहूँ , साधन सुगम महान ,।।


प्रभु के चरणों में सदा , पुनि पुनि करूँ प्रणाम ।।
कहूँ कभी भूलूँ नहीं , मेरे प्रभु श्री राम ।।






बार बार बर माँगउँ ,हरषि देहू श्री रंग ।


पद सरोज अनपायनी भक्ति सदा सत्संग ।।

बिगड़ी जनम अनेक की ,अब हीं सुधारूँ आज।


होहिं राम का नाम जपूँ , तुलसी तज कुसमाज ।।

नहीं बुद्धि नहीं बाहुबल , नहीं खरचन को दाम।


मों सो अपंग पतित की ,पत राखो श्री राम।।

मों सम दीन न दीन हित , तुम समान रघुवीर ।


अस बिचारी रघुवंश मनि, हरहूँ विषम भवभीर।।

एक भरोसो एक बल , एक आस विश्वास ।


एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।

राम नाम मनि दीप धरूँ , जीह देहरी द्वार ।


तुलसी भीतर बाहर हीं , जो चाहसि उजियार ।।



 जय श्री राधे कृष्ण


       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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