
सारी दुनिया से दूर हो जाऊं, तेरी आँखों का नूर हो जाऊं
तेरी राधा बनूँ, बनूँ न बनूँ, तेरी मीरा ज़रूर हो जाऊ
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी
प्रीत की लगन है ये , किसी ने न जानी है।
सबकी समझ में आती नही ये कहानी है।
मीरा छोड़ सब तेरी गली मोहन चली आयी।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी||1||
कि इकतारे की सरगम पर विरह के गीत गाती है।
दीवानी बावरी बेसुध तुम्हारी और आती है।
जर्जर तन निगाहों में लिए सावन चली आयी।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी||2||
देह भी चूर है थक कर और पैरों में छाले हैं।
सूखते लब तुम्हारे नाम की माला सभाले हैं।
कि प्रेमी पर फ़िदा होने आज प्रेमिन चली आयी।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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