नंदलाल गोपाल दया करके, रख चाकर अपने द्वार मुझे।धन दौलत और

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नंदलाल गोपाल दया करके, 

रख चाकर अपने द्वार मुझे।
धन दौलत और किसी को दे, 
बस देदे अपना प्यार मुझे॥





तन मन का ना चाहे होश रहे,
तेरा नाम ना विसरे भूले से।
तेरे ध्यान में इतना खो जाऊँ,
पागल समझे संसार मुझे॥1||

मैं निर्धन गोकुल और मथुरा,
तेरे दर्शन को ना जा संकुं।
जब अपने मन में झाँकूँ मैं,
हो जाए तेरा दीदार मुझे॥2||


   

जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्



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