ऐसी  बंशी बजाई  श्याम ने ,मेरी सुध बिसराई श्याम ने

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ऐसी  बंशी बजाई  श्याम ने ,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने ,
नी मैं हुई दीवानी ,नी मैं हुई मस्तानी । 
मेरी सुध बिसराई श्याम ने ,
ऐसी  बंशी बजाई  श्याम ने । 



मुरली  की धुन जब पड़ी कानन में ,
नींद न आई श्याम मेरे नैनन में ,
मेरी  निंदिया उड़ाई श्याम ने ,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने॥ १॥ 




मुरली की धुन सुन जिया लहराए 
उठे उमंग रहा नहीं जाये 
ऐसी मस्ती चढ़ाई श्याम ने 
मेरी सुध बिसराई श्याम ने ॥ २  ॥ 




यमुना किनारे श्याम बंशी बजाये 
एक एक सखी को  नाच नचाये 
ऐसी रास रचाई श्याम ने ,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने ॥ ३ ॥ 




मुरली की धुन सुन ऐसी मैं हो गयी ,
दुनिया को छोड़ा श्याम तेरी मैं हो गयी ,
ऐसी लगन लगाई श्याम ने ,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने ॥ ४ ॥ 





जय श्री राधे कृष्ण

       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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