
नेनन में लागि रहै गोपाल ।
मैं जमुना जल भरन जात रही ,
भर लाई जंजाल ॥1||
रुनक झुनक पग नेपुर बाजे,
चाल चलत गजराज ॥2||
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे ,
संग लखो लिये ग्वाल ॥3||
बिन देखे मोही कल न परत है ,
निसदिन रहत बिहाल ॥4||
लोक लाज कुलकी मरजादा ,
निपट भ्रमका जाल ॥5||
वृंदाबनमें रास रचो है ,
सहस्त्र गोपि एक लाल ॥
मोर मुगुट पितांबर सोभे ,
गले वैजयंती माल ॥6||
शंख चक्र गदा पद्म विराजे ,
वांके नयन बिसाल ॥7||
सुरदास हरिको रूप निहारे,
चिरंजीव रहो नंद लाल ॥8||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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