प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।अन्न

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।अन्न








प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।


अन्न नहीं भावे नींद न आवे विरह सतावे मोय।
घायल ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारो दर्द न जाने कोय।।१।।




दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय।
प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।२।।




जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दुख होय।
नगर ढुंढेरौ पीटती रे, प्रीत न करियो कोय।।३।।




पन्थ निहारूँ डगर भुवारूँ, ऊभी मारग जोय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलयां सुख होय।।४।|


जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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