प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥प्रभु

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥प्रभु






प्रभु जी तुम चंदन हम पानी।
जाकी अंग-अंग बास समानी॥




प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा।
जैसे चितवत चंद चकोरा॥




प्रभु जी तुम दीपक हम बाती।
जाकी जोति बरै दिन राती॥




प्रभु जी तुम मोती हम धागा।
जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।




प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा।
ऐसी भक्ति करै 'रैदासा॥

जै श्री राधे कृष्ण

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श्री कृष्णायसमर्पणं
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