
नैनन में लागि रहै गोपाल,
मैं जमुना जल भरन जात रही
भर लाई जंजाल ॥
रुनक झुनक पग नेपुर बाजे
चाल चलत गजराज |
जमुना के नीर तीर धेनु चरावे
संग लखो लिये ग्वाल ||1||
बिन देखे मोही कल न परत है
निसदिन रहत बिहाल |
लोक लाज कुल की मरजादा
निपट भ्रमका जाल ||2||
वृंदावन में रास रचो है
सहस्त्र गोपी एक लाल |
मोर मुगुट पितांबर सोभे
गले वैजयंती माल ||3||
शंख चक्र गदा पद्म विराजे
वांके नयन बिसाल |
सुरदास हरि को रूप निहारे
चिरंजीव रहो नंद लाल ||4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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