
श्यामा किशोरी विनय कर जोरि अब मोहे शरण कीजे
शीश झुकाऊँ तुमको मनाऊँ किस विधि मेरी श्यामा रीझे |
कैसे कहूँ श्यामा मैं तुमको मन को मन्दिर करना
इन मैली आँखों को मेरी कैसे हो दर्पण करना
नहीं कोई बल नहीं कोई साधना अपना नाम धन दीजे ||1||
कैसे नाम लूँ आपका श्यामा जिव्हा में कोई बल ना
सेवा कोई बनी नहीं मेरी आज नहीं कोई कल ना
रख लो बुहारिन श्यामा मुझको सोहनी सेवा दीजे ||2||
कैसे तेरा गुणगान करूँ मैं शब्द बनो तुम श्यामा
तुम ही बल दो लिख पाऊँ मैं नाम तेरा सुखधामा
मन निर्मल हो तेरी कृपा से लाडली दया कीजे ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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