
अरी होरी में है गयो झगरो,राधा नें मोहन पकरो ।अरी
अरी होरी में है गयो झगरो,
राधा नें मोहन पकरो ।
अरी होरी में है गयो झगरो,
सखियन नें मोहन पकरो.
धावा बोल दियो गिरधारी,
नन्दगाम के ग्वाल सखारी
छोड़ रहे रंग की पिचकारी
निकसत में रिपटै दल सबरै ||1||
सखियन के संग भानु दुलारी
ले गुलाल की पोंटे भारी
मार रही हैं भई अंधियारी
वहाँ दीखे नाहीं दगरौ..||2||
सखा भेष सखियन ने धार्यौ
सब ही मिल कें बादर फार्यौ
अचक जाय के फंदा डार्यौ
छैला कूं कसकै पकर्यो.||3||
धोखो भयो समझ गये मोहन
आई बरसाने की टोलन
हँस हँस आई हरि के गोहन
गुलचन ते कर दियो पतरौ.||4||
मनभाई कर लीनी हरि तें
बतरावें तीखी आंखिन ते
सखी रूप कर दियो पुरूष ते
परमेश्वर को झार्यो नखरौ..||5||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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लगवाये लेउ रंग गुलाल
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