हे देव ! तुम्हारे चरणों में, हमने अतुलित सुख पाया

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हे देव ! तुम्हारे चरणों में, हमने अतुलित सुख पाया है  

एक पल भी तुमको हे प्रभुवर, अपने से दूर न पाया है|




माया ममता के बंधन में, जब जीव तुम्हें बिसराता है

दुःख पाने पर हर अज्ञानी, कर याद तुझे पछताता है||1||




तेरे चरणों पर सर धर कर, नयनों से अश्रु बहाता है

ऐसे में करुणा के सागर, पीड़ा हर कर अपनाया है ||2||




जिसने नित तेरा ध्यान धरा, दुःख उसपर कभी न आया है

कम्पित कर से सब अर्पित कर,यह जीवन सफल बनाया है ||3||




जै श्री राधे कृष्ण


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श्री कृष्णायसमर्पणं



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