
सखी री मैं किसी विध श्याम को पाऊँ,
जग के झूठे धंधे,मैं अन्तर में खो जाऊँ !
श्याम ही सिमरूँ श्याम ही पूजूँ ,
श्याम ही मन में ध्याऊँ !
श्याम की ओट रखूँ मन मेरे ,
श्याम नाम नित गाऊँ ||1||
आँख मिचौली करे मेरा साजन ,
मैं बलिहारी जाऊँ ,
जब-जब रूठे प्रीतम मेरे ,
नैनन नीर बहाऊँ ||2||
बार बार यह विनती करूँ मैं ,
भूल न तुझको जाऊँ !
'दासी' तेरी अर्ज गुजारे ,
चित चरणों में लगाऊँ ||3||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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