
नवरंगी लाल बिहारी हो तेरे,
द्वै बाप,द्वै महतारी ।।
नवरंगीले नवल बिहारी हम,
दैंहि कहा कही गारी ।।१।।
द्वै बाप सबै जग जाने !
सोतो वेद पुरान बखाने।।
वसुदेव देवकी जाये।
सो तो नंदमहर के आये ।।२।।
हम बरसानेकी नारी।
तुम्हें दें दें हँसि गारी ।।
तेरी भूआ कुंति रानी।
सो तो सूरज देखी लुभानी।।३।।
तेरी बहन सुभद्रा क्वारी,
सो तो अर्जुन संग सिधारी।।
तेरी द्रुपदसुता सी भाभी।
सो तो पांच पुरुष मिलि लाभी।।४।।
हम जाने जू हम जानै,
तुम उखल हाथ बँधाने।।
हम जानी बात पहिचानी.
तुम कब ते दधि दानी।।५।।
तेरी माया ने सब जग ढूंढ्यो,
कोई छोड्यो न बारो बूढ्यो।।
"जन कृष्णा" गारी गावे,
तब हाथ थार कों लावे।।६।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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