मन्दिर खुले तुम्हारे भगवन  लेकिन  कैसे आऊँ  मैं

मन्दिर खुले तुम्हारे भगवन लेकिन कैसे आऊँ मैं

मन्दिर खुले तुम्हारे भगवन लेकिन  कैसे आऊँ  मैं,
भक्त कहाने के चक्कर में अपनी जान  गँवाऊँ मैं,
मास्क पहन कर आऊँ भी तो  कैसे तुम पहचानोगे
दयादृष्टि प्रभु तुम्हारी बोलो किस विधि पाऊँ मैं

भगवान का उत्तर

खुलवा दिये हैं पट मंदिर के तुम ज़िद्द ना करना आने की,
है घड़ी कठिन -परीक्षा की खुद बचके औरों को बचाने की
है नज़र मेरी तो, तुम सब पर कितने भी मास्क लगाओ तुम,
हूँ भाव का भूखा मैं तो सदा चाहे ना अर्घ्य चढ़ाओ तुम

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