हे प्रियवर ! मैं करुँ आरती तेरी
तुझपे कान्हा बलि-बलि जाऊँ
साँझ-सवेरे तेरे गुण गाऊँ
प्रेम में रही मैं रँगी भक्ति में तेरी
हे गोपाल ! करुँ आरती तेरी
हे प्रियवर ! मैं करुँ आरती तेरी
ये माटी का तन है तेरा
मन, प्राण तेरे
मैं इक गोपी , तुम कन्हैया मेरे
तुम हो मालिक भगवन् मेरे
हे गोपाल ! करुँ आरती तेरी
हे प्रियवर ! मैं करुँ आरती तेरी
ओ कान्हा तेरा रुप अनुपम
मन को हरता जाए
मन ये चाहे हर पल
अँखियाँ तेरा दर्शन पाएँ
दर्शन तेरा आस है मेरी
हे गोपाल ! करुँ आरती तेरी
हे प्रियवर ! मैं करुँ आरती तेरी
( Hey gopal karu arti tere hey priyavar mai karu arti tere )
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