माथा टेकती जहाँ दुनियासारी
प्रभु-चरणों में विनती है हमारी
हे हृषिकेश ! हे जगतनरेश !
दो आत्मज्ञान करो श्रीगणेश !
अज्ञानी हैं हम सब दुखियारी
दो आत्मज्ञान करो श्रीगणेश !
अज्ञानी हैं हम सब दुखियारी
प्रभु-चरणों में विनती है हमारी
हे जगदीश्वर ! हे परमेश्वर !
करो कृपा हों मेरे मृदु-श्वर
है ये दुनिया बस प्रेम से हारी
करो कृपा हों मेरे मृदु-श्वर
है ये दुनिया बस प्रेम से हारी
प्रभु-चरणों में विनती है हमारी
हे परमपिता ! हे कृष्णमुरारी !
है अधीन आपके ये सृष्टिसारी
प्रभु हर लो अब मेरी भी अंधियारी
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