भज मन राम चरण सुखदाई

भज मन राम चरण सुखदाई

भज मन राम चरण सुखदाई

जिहि चरनन से निकसी सुरसरि संकर जटा समाई ।
जटासंकरी नाम परयो है, त्रिभुवन तारन आई ॥1

जिन चरनन की चरनपादुका भरत रह्यो लव लाई ।
सोइ चरन केवट धोइ लीने तब हरि नाव चलाई ॥2

सोइ चरन संत जन सेवत सदा रहत सुखदाई ।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी परसि परमपद पाई ॥3

दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो ऋषियन त्रास मिटाई ।
सोई प्रभु त्रिलोक के स्वामी कनक मृगा सँग धाई ॥4

कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल तिन जय छत्र फिराई ।
रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर परसत लंका पाई ॥5

सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक सेष सहस मुख गाई ।
तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु निज मुख करत बड़ाई ॥6

Bhaj Mun Ram charan sukhdai


''जय श्री राधे कृष्णा ''
Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: