जो भजे हरि को सदा परम पद पायेगा
देह के माला तिलक और भस्म नहिं कुछ काम के
प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा
जो भजे हरि को सदा परम पद पायेगा ||1
दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को
खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा
दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को
खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा
जो भजे हरि को सदा परम पद पायेगा ||2
छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में
ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा
छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में
ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा
जो भजे हरि को सदा परम पद पायेगा ||3
दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को .
कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा
दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को .
कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा
जो भजे हरि को सदा परम पद पायेगा ||4
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