Kaha din bitaya kaha raat

Kaha din bitaya kaha raat

कहाँ दिन बिताया, कहाँ रात की,
बड़ी आरजू थी, मुलाक़ात की॥
चले आओ अब तो ओ प्यारे कन्हैया,
यह सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया।
सूना दो अब तो इन्हें धुन मुरली की,
बड़ी आरजू थी, मुलाक़ात की॥

~~दिल से बोलो जी राधे राधे~~

नजरे मिला के मुझसे ऐ श्याम मुस्कुरा दो।
गलती अगर हुई तो, दिल से उसे भुला दो।
किस बात पर खफा हो, नाराज लग रहे हो।
लगते हो जैसे हरदम, ना आज लग रहे हो।
खोये खोये से मेरे, सरताज लग रहे हो।
तुमको रिझाऊ कैसे, इतना मुझे बता दो।
नजरे मिला के मुझसे, ऐ श्याम मुस्कुरा दो।
   वोलो राधे राघे

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