Shri Radhe Kijiye kirpa ki kor

Shri Radhe Kijiye kirpa ki kor

श्री राधे कीजै कृपा की कोर
सरस किशोरी वयस की थोरी रति रस वोरी
कीजै कृपा की कोर
श्री राधे कीजै कृपा की कोर

साधन हीन दीन मैं राधे
तुम करुणामयी प्रेम अगाधे
काके द्वारे जायें पुकारे कौन निहारे दीन दुखी की ओर
श्री राधे कीजै कृपा की कोर कीजै कृपा की कोर ||1

करत अघन नहिं नैक अघाऊँ
भजन करन मैं ना मन को लगाऊँ
कवि वर जोरी लखि निज ओरी तुम बिन मोरी कौन सुधारै दौर
श्री राधे कीजै कृपा की कोर कीजै कृपा की कोर ||2

भलौ बुरौ जैसौ हूँ तिहारौ
तुम बिन कोऊ न हितू हमारौ
भानु दुलारी सुधि लो हमारी शरण तुम्हारी हौं पतितन सिरमौर
श्री राधे कीजै कृपा की कोर कीजै कृपा की कोर ||3

गोपी प्रेम की भिक्षा दीजै
कैसे हूँ मोहि अपनौ करि लीजै
तुम गुण गावत दिवस बितावत दृग भरि आवत हैं वे प्रेम विभोर
श्री राधे कीजै कृपा की कोर कीजै कृपा की कोर ||4

श्री श्यामा कीजै कृपा की कोर
सरस किशोरी वयस की थोरी रति रस वोरी
श्री राधे कीजै कृपा की कोर कीजै कृपा की कोर ||5

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