Tere Mere khob banegi khob nibhegi shyam

Tere Mere khob banegi khob nibhegi shyam

तेरी मेरी खूब बनेगी, खूब निभेगी श्याम
सेवक तुमको चाहिए, मालिक मुझको श्याम!!

गंगा जल से, चरण पखारूँगा
घिस-घिस चन्दन,तिलक लगाउँगा
रंग बिरंगे बागे,पहनाऊंगा तुझे श्याम
तेरी मेरी खूब बनेगी, खूब निभेगी श्याम

फरमाओगे जो भी, वही मैं करूंगा
करूंगा मैं सेवा तेरी, हाज़री भरूंगा
रुच-रुच भोग बनाके,खिलाऊंगा तुझे श्याम
तेरी मेरी खूब बनेगी, खूब निभेगी श्याम

चरण दबाऊंगा मैं, चवँर डुलाऊँगा
होगी महर तेरी, भजन सुनाऊंगा
झूम-झूम के रिझाउंगा तुझे श्याम!!
तेरी मेरी खूब बनेगी, खूब निभेगी श्याम

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