तेरी शान तेरे जलाल कोमैंने जब से दिल में बसा

 तेरी शान तेरे जलाल कोमैंने जब से दिल में बसा




 तेरी शान तेरे जलाल को
मैंने जब से दिल में बसा लिया।
मैंने सब चिराग बुझा दिए,
तेरा इक चिराग जला लिया॥

तेरी आस ही मेरी आस ही,
तेरी धुल मेरा लिबास है।
अब मुझे तू अपना बना भी ले,
मैंने तुझको अपना बना लिया॥1||

मुझे धुप छाव का गम नहीं,
तेरे कांटे फूलों से कम नहीं।
मुझे जान से भी अज़ीज़ है,
जिस चमन से तेरा दीया लिया॥2||

तेरी रहमतें बेहिसाब हैं,
किस जुबान से करूँ शुक्रिया।
कभी मुझ से कोई खता हुई
तूने फिर से मुझ को उठा लिया॥3||

मेरी हार तेरी ही हार है,
मेरी जीत तेरी ही जीत है।
मैंने सौंपा तुझको वो सभी,
तूने जो मुझ को दिया॥4||

''जय श्री कृष्णा ''

  
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