मिल कहो प्रेमसे - 'रघुपति राघव राजाराम ।मुदित चित्तसे घोष

 मिल कहो प्रेमसे - 'रघुपति राघव राजाराम ।मुदित चित्तसे घोष




 मिल कहो प्रेमसे - 'रघुपति राघव राजाराम ।
मुदित चित्तसे घोष करो पुनि - 'पतित पावन सीताराम ॥

जिह्वा-जीवन सफल करो कह -'जय रघुनन्दन, जय सियाराम ।
ह्रदय खोल बोलो मत चूको- 'जानकिवल्लभ सीताराम ॥1||

गौर रुचिर, नवघनश्याम छबि, 'जय लक्ष्मण, जय जय श्रीराम ।
अनुगत परम अनुज रघुबरके- 'भरत-सत्रुहन शोभाधाम ॥2||

उभय सखा राघवके प्यारे -'कपिपति, लंकापति अभिराम ।
परम भक्त निष्कामशिरोमणि 'जय श्रीमारुति पूरणकाम ॥3||

अति उमंगसे बोलो संतत - 'रघुपति राघव राजाराम।
मुक्तकंठ हो सदा पुकारो- 'पतित पावन सीताराम ॥4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''

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