
जलवा-ए-हुस्न दिखा जाओ तो कुछ बात बने
मेरी नजरों में समा जाओ तो कुछ बात बने.
आपकी शक्ल नज़र आती है धुंदली धुंदली,
पर्दा नजरों से हटा जाओ तो कुछ बात बने||1||
आतिश-ए-इश्क भड़क जायेगी रफ्ता रफ्ता,
धीरे धीरे घी लगा जाओ तो कुछ बात बने||2||
गर्मी-ए-इश्क ज़रा सर्द हुयी जाती है,
इसमें फिर आग लगा जाओ तो कुछ बात बने||3||
शौरिश-ए-इश्क मोहब्बत भी है सहमी सहमी,
अपनी झनकार सुना जाओ तो कुछ बात बने||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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