
भाव का भूखा हूँ मैं, बस भाव ही एक सार है
भाव से मुझ को भजे तो, उसका बेडा पार है ||
अन्न धन अरु वस्त्र भूषण, कुछ न मुझको चाहिए
आप हो जाये मेरा बस, पूरण यह सत्कार है ||1||
भाव बिन सुना पुकारे, मैं कभी सुनता नहीं
भाव की एक टेर ही, करती मुझे लाचार है ||2||
भाव बिन सब कुछ भी दे तो, मै कभी लेता नहीं
भाव से एक फुल भी दे, तो मुझे स्वीकार है ||3||
जो भी मुझ मे भाव रख कर, आते है मेरी शरण
मेरे और उस के ह्रदय का, एक रहता तार है ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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