
बंसी वाले पकड़ो मेरा हाथ रे
मैं भी तेरे चरणों का हूँ दास रे |
जब -जब कोई विपिदा आई मैंने तुम्हे पुकारा
तू ही आकर बाबा मुझको देता रहा सहारा
नैया मैंने सौंपी तेरे हाथ रे ||१||
दुर्योधन की मेवा त्यागे साग विदुर घर खाए हैं
भीलनी के बेर सुदामा के तंदुल रूचि -रूचि भोग लगाये हैं
अपनों से तू करता सदा प्यार रे ||२||
तू ही श्याम दया का सागर तुझसे क्या मैं छिपाऊं
मेरा तू है एक सहारा और कहाँ मैं जाऊं
हरे का तू देता सदा साथ रे ||३||
बंसी वाले पकड़ो मेरा हाथ रे
मैं भी तेरे चरणों का हूँ दास रे |
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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