
साँवरे के दिवानों की महफ़िल आज फिर से सजाई गयी है
सारे भगतों ने मिलकर के देखो लौ प्रभु से लगाई हुई है |
ऊँचे आसन पर बाबा विराजे
उनकी आँखों से करुणा बरसती
उनके भगतों की आँखें न पूछो
चरणों में बिछाई हुई है ||१ ||
भक्ति की रात का है ये आलम
जो जहाँ है वही पे मगन है ,
हर दिशा से है अमृत बरसता
यहाँ जन्नत बसायी गयी है ||२ ||
आये -आये घर श्याम हमारे ,मेरे पग घुंघुरू बंधे
नाचूँ-नाचूँ मैं श्याम के आगे ,मेरे पग घुंघुरू बंधे |
श्याम आये तो ऐसा लगा आज कि घर मेरे चाँद निकला ,
जैसे पूनम की हो गयी रात गगन में चाँद निकला ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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