
राम बिराजो हृदय भवन में
तुम बिन और न हो कुछ मन में
अपना जान मुझे स्वीकारो ।
भ्रम भूलों से बेगि उबारो ।
मोह जनित संकट सब टारो ।
उलझा हूँ मैं भव बंधन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ||1||
तुम जानो सब अंतरयामी ।
तुम बिन कुछ भाये ना स्वामी ।
प्रेम बेल उर अंतर जामी ।
तुम ही सार वस्तु जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ||2||
निज चरणों में तनिक ठौर दो ।
चाहे स्वामी कुछ न और दो ।
केवल अपनी कृपा कोर दो ।
रामामृत भर दो जीवन में।
राम बिराजो हृदय भवन में ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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