हर सांस में हर बोल में हर सांस में हर बोल

हर सांस में हर बोल में हर सांस में हर बोल




हर सांस में हर बोल में 
हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है . 
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है .. 

ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है . 
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है ||1||

हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है . 
उस नाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है ||2||

अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है . 
मनके यहां बिखरे हुये प्रभु ने पिरोया तार है ||3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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